प्यार किया जबसे तुमसे
महक उठा है मेरा जीवन.. हर तरफ खुशियॉ हैं. मेरे हर तरफ अब तुम हो.. छोटी-२ बात मे लडना तुम्हारा रूठना मेरा मनाना.. हर पल ख्याल रखना खुद का मेरा.. मेरी खुशियों का.. जब भी साथ तुम्हारे होता हूं खुद मे पूरा होता हूं.. तुम मेरी दूनिया हो मेरा प्यार हो.. मेरा सब कुछ तुम हो...!" Kbhi kbhi jb
Sochta hu Un lamho ko Jin lamho me Hm dono ne Dhero baate ki thi Mano sagar me Khud ko Paata hu.. Pr bin dariya, N khi bah pata hu.. Tum n aaye Hme sahaara tak dene Aur tadap-tadap k Hamari kasti doob gaii.. Aakh khuli tb Jb kinare pe aa pahuche Khali apna haath tha, Tumhara n saath tha.. Pura tan bheega sa tha Par fir v pyas lagi thi Dil se chalak rahe the aasu Tipte dhoop me bah se rahe the Mai uske upar Apni patwaar liye utara Badi jor ki aandhi aaii Mano mai sb bhool v gaya... Par tabhi n jane kya hua Kuch jal k andar mujhe dikha Wo sayad teri taasveer thi Mai kood pada Uske andar Teri aakho me nami thi, N jane kya kahna chaah rahi thi Teri bejuba aakhe Hotho me muskaan thi Tune apna haath Mere haath me diya Maine use thaam v liya Jb sang tere bahar aya Ek jhopda ka mahal banaya Sare sapne usme Tere mere the Kuch hakikat ki khilone To kuch jaduii the Mai tujhe. Lekar Lahro me hilore maar leta.. Kuch wahi gunguna leta Tu apni aakho ki nami Kahi gira jo deti Mai use saara din dhoodhta Fir sochta Ye kya dhoodh raha tha Nami ki kami achchii lagti h Tere hotho pe to Kamal c muskaan achchi lagti h.. Tu muskurati rahe,, Aur khus v rahe Sang mere aur Muskaan k.!!! Ansh kumar Tiwari" kml" तुमसे दूर मै रह नही पाता,
तुम न रहो, तो जी नही पाता... तू ही मेरी खुशी तू ख्वाब मेरा तू जिंदगी.. तू ही वो शुरूर- जिसको मैने सपनो मे सजाया है.. हर जर्रे से तुम्हारा नाम आया है..! क्यू दिल को रोक नही पाता तेरे बिन ये तडप सा जाता.. तू आरजू.. तू ही मेरी सुबह मेरी शाम मेरी रात.. बस तू ही तू.. तुझको मैने सासो मे बसाया है, बडी मुश्किलो से तेरा साथ पाया है..! बाकी शहर मे एक कुत्ता रहता था. बचपन से उसका पालन-
पोशण इसी शहर मे हुआ था. अतएव शहर के चप्पे-चप्पे से वाकिफ था गेरु.. खाने-पीने का बडा सौखिन नेक दिल, परोपकारी स्वभाव, स्वामीभक्त, आदि सारे सदगुन थे गेरु मे.. उसका मालिक छोटा सा नादान बालक डब्बू था| डब्बू भी स्कूल से आने के बाद गेरु के ही साथ खेलता, जो कुछ खाता गेरु को भी खिलाता| मा को तो ये सब पसंद था, पर डब्बू के पिता रमजीद खान को यह सब न पसंद था|| एक दिन शाम के वक्त डब्बू और गेरु दोनो सडक पर गस्त कर रहे थे| लाजवाब मौसम, बरसात का मौसम विदाई को था, तो सर्दी क मौसम आगमन को|| “ढलता सूरज, उगता चांद! धरती मे बहती, सर-सर सुहानी मदमस्त हवा| जो मन को बहका दे, नियत बदल दे|| अचानक एक रहीसजादे की बेटी दिखती है जो अपनि कुतिया के संग कार मे शायद कही जा रही थी, या फिर ऐसा मौसम देख उसका भी दिल मचल उठा और वो निकल पडी|| “स्वेत वस्त्र, सर मे लाल टोपी, नाजुक हाथ थे दोनो के!! डब्बू कि नजर लडकी पर, तो कुत्ते की नजर कुतिया पर!!” दोनो भी पीछे मुडकर एक-दूसरे को देख रही थी| पर कार थी जो दूरि कि दीवार बढाती और बनाती जा रही थी| और दूरि इतनी बढ गैइ कि आखों मे सिर्फ प्रतिमा बस बची| सर लटकाये निराशापूर्वक दोनो घर लौट पडे| दोनो मौन, कदमो कि थपथप थी, बस! और हो भी क्या सकता था| जो होना था सो हो गया.! “रात भर नींड न आई डब्बू को, कुत्ता भी किसी के इंतजार मे सो न सका| बदकिसमिती थी, नजरो का सबसे बडा गुनाह था!!” सुबह होते हि नही, सूरज की लालिमा की पतली किरन को देखकर लपकते हुए कुत्ता जा पहुचा सडक मे, कुछ समय बाद डब्बू भी स्कूल के बहाने पीठ मे बस्ता लादकर कुत्ते के बगल मे आ बैठा| कुत्ते की जीभ से तो डब्बू के दिल से लार टपक रही थी| “पुरा दिन बीत गया, धूप मे तपते रहे.! ळेकिन, बच्चा दिल प्यास हि रहा. कुछ न पाया राह मे निराशा के सिवा.!!” दोनो को आंतरिक बडा कस्ट हुआ| आखिर कब तक ये प्रेम का बेदर्दी भगवान हम आसिको कि परीक्षा पर परीक्षा ले-ले कर हम बेकसूरो को तडपायेगा|| “ शाम की बदली हटी, रात का अंधेरा आया| दोनो अंतर्मन से बातें कर रहे थे, कि- कल भोर से ही चलेंगे- हम तुम उनको ढूढने सर्वत्र..!!” इसी वार्तालाप के बीच मे ही मां कि आवाज आई, बेटा खाना खा लो. और चलो सो जाओ काफी रात हो चुकी है| “कोमल सूरज संग किरने आने को थी तैयार, कुत्ता समझ गया था आलम – ळगाई जोर गुहार.. डब,,,,,ब,,,,,ब,,,,,,उ,,,,,,,!!!!!!!!” फेक के चादर डब्बू भागा, आज तो स्कूल मे भी अवकाश था; रविवार का| और अब दोनो चल दिये दोनो कि खोज को, पुरा दिन भुखे-प्यासे बीता दिया, आज जीवन मे पहली बार करीबन दस मील पैदल चला था डब्बू| कुत्ते की भी हालत बेहाल हो गैइ, पर आज फिर से निराशा ही हाथ लगी| ऐसा करते-करते कइ महिने बीत गये एक दिन कुछ यूं होता है-- “डब्बू-गेरु बैथे थे- छत उपर , सूखी घास की सैया पर| तभी अचानक वो दिखी, झटपट भागे- कुछ भूल गये; वो थी दूरी||” गिरते ही गेरु का मुंह टेढा हो गया, बेचारे की दाईं आंख मे चोट आई; जिसके कारन वो आंख दबी रही, कुतिया ऐसा देख शरमा सी गयि| डब्बू कि तो मानो कमर टूट गयि, अब ढूढना भी बंद हो जयेगा|| दोनो को रमजीद खां डाक्टर के पास ले गये;डाक्टर राजन कइ दिनो तक ईलाज करते है, हर तरह की महन्गी से महन्गी दवाई आजमाते है; पर तबियत मे बिल्कुल भी सुधार नहि होता.. “जैसे के तैसे थे, न खाते थे, ना पीते थे न रोते, न ही हसते ना ही कुछ कहते थे||” एक दिन डाक्टर की बेटी आपने पापा से मिलने आती है, डां. डब्बू के ईलाज मे जुटे थे| डब्बु पलंग मे लेता था, पलंग के नीचे ऊसका साथी घायल सा पडा था| लदकी को देखते ही कुत्ता भोका, लडके ने आंख खोली.|| “देख सामने ऊसको अपने, झटपट बाहर भागा; ळडकी भागी, कुत्ता भागा; देख डां भी भागा|| बाहर जाते ही चिपक गया, लडका-लडकी से; कुत्ता-कुतिया से||’’ तभी उसके पिता रमजीद खां, डब्बू को देखने के लिये ऊसकी मा के साथ पहुच जाते है, और यह नजारा डां के साथों- साथ वो भी देखते है| वक्त की मांग को देख, आपस मे सलाह- मसवरा करके दोनो, दोनो-दोनो की सादी करवाने का निर्णय लेते है| “डब्बू कि गोद मे कुत्ता, तो निम्मू कि गोद मे चंदा| देख शादी, कहा लोगो ने- कुत्ते से बच्चे का, कुत्ते और कुतिया का; कमल सा कोमल है प्यार..!!!!!!” अंश कुमार तिवारी “कमल” saam suhaani kitni pyari lagti h
es thandi me.. meethi-meethi c thodi kadak thoda thandapan aur mastni angdaii bhare hue jb daman failati h aa k baho me jo simat jati h chupke se aagosi me, tanhaee ka dard kahi chup sa jata h uske mast nasile naine se jyo baris c ho bah jaye aur samete apne sapne dekar muhjko khus ho jati thod ithlaati h kuch gungunati h mere kano me chupke-chupke.. aakho me jo khwab bhare h un lamho ki yadon k jo ek tasveer se h meri satrangi duniya me chahat k gharonde me ek paysi c talash k liye n jane kya chahte h ek labj tk n batlayenge bs door door rah k dooriya badhayenge tum khus ho to mai v khus hu tumahri muskaan kitni acchhi lagti khilkhila k muskura k nadiya c bah jati ho saaj koi dikhlati ho pr mai ye sb nhi janta hu bs tum mere paas raho apni chahat ka saathi bana k man mera bahla dena koi kavita kabhi kahi likh dega jb mai usko padh padh ke bs wo chehra yaad kr lunga tanhayion se kahunga kuch pyar tum v do aur aa jao jindgi me bn k saawan c rimjhim-rimjhim mai tu hu pr hu v nhi hoke v es jaha me tere bina koyal ki ku-ku es saam me acchi nhi lagti bs tu aa ja... warnaa hm n jii payenge as bedardi jaha me tere bina kya kahu kaise kat raha h ek v pal,....... Ansh ArYa TiWarI 'K@ml' RiSteY......!.!
RiSteY......!.! by Ansh Arya Tiwari (Notes) on Sunday, June 16, 2013 at 9:02pm Ristey depend karte hai do logo k atitute par wo kaise sochte hain, kaise rhte h, kitna unme apna-pan h, kitni samjh h aur kitni parwah h dono ki...! Ristey bnane me bahut wakt lagta h, aur tootne k liye ek pal, ek galti, ek jid kafi hoti h....! jb kuch n samjh aye to wakt ka intjaar karna chahiye, koi kisi k bina jina nhi chhod sakta, ha kuch changes ho jayenge jaroor....! Risto k liye biswas bahut chhota sabd h lekin mayne samjho to bahut h, par muskil ye h logo ko "Viswas par sak h aur sak pe biswas h...! jindgi ki har chhoti-badi khusi risto se hoti h, jiska kisi se koi rista n ho wo janta h kitne important hote h ristey... jb ristey toot jate ya unse naata toot jata tb unki ahmiyat samajh aati h ki kya mayne rakhtey hai wo ristey...!!! हर आइने मे..
अपने चेहरे मे आवाज मे तुम्हे महसूस करता हूं.. क्योकि मेरा सब अब सिर्फ तुम हो.. मै तुम्हारा हूं किसी और का नही मेरा सपना हो तुम जिंदगी भी अब मेरा संसार हो तुम....!!अंश आर्य तिवारी 'कमल-कोमल' ek ahsaas h
jise har pal jeeta hu,, ek awaaj h jise har jagah sunta hu.. pana chahta hu...! ek chehra h Jo har pal aakho me yado me sapno me h.. meri subah h WO wahi raat ki neend h.. |
AuthorAnsh Arya Tiwari 'K @ mL' Archives
October 2017
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